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गीत : ज़ख्म
मेरा हर ज़ख्म जैसे कोई, मेहमान है उनका,
मेरा हर ज़ख्म जैसे कोई, मेहमान है उनका,
सेहलाना बातों से, नया इंतज़ाम है उनका;
मेरा हर ज़ख्म, कोई नया, मेहमान है उनका।
हर मुलाकात एक, नया अरमान है उनका,
हर मुलाकात एक, नया अरमान है उनका,
मिलना हमसे अब, नया इंतकाम है उनका;
मेरा हर ज़ख्म, कोई नया, मेहमान है उनका।
गम तबस्सुम में घुले, नया फरमान है उनका,
गम तबस्सुम में घुले, नया फरमान है उनका,
हमारी आरज़ू पे, नया इख़्तियार है उनका;
मेरा हर ज़ख्म, कोई नया, मेहमान है उनका।
आब-ए-चश्म गिनना, नया इम्तिहान है उनका,
आब-ए-चश्म गिनना, नया इम्तिहान है उनका,
अश्क पिए हैं या बहे, नया सवाल है उनका;
मेरा हर ज़ख्म, कोई नया, मेहमान है उनका।
इश्क़ के मारे कहते हैं, नया करम है उनका,
इश्क़ के मारे कहते हैं, नया करम है उनका,
हम दीवाने हुए 'नूरम' नया कारवां है उनका;
मेरा हर ज़ख्म, कोई नया, मेहमान है उनका।
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